समय
अधम पुरुष व अधर्मी राज़ा !
राम का अभिनय करनेवाला !
अखंड ज्योति को नाकारा है !
सच में नृप तम को धारा है !
चाल तुम्हारा "तेज़" रवि सा !शून्य क्षितिज़ में मेघ सुधा सा!
समय,शहद व समय है करवा!
देख रहा ज़ग समय का ज़लवा,!
ज़ग में हमें, सब सताया है! समय क्लेश का विष लाया है!
समय को ज़ीवन दान दूंगा!
हर्षित हो विष-पान करूंगा!
राज़ा हो या रंक फ़कीरा !
चुभता नेज़ा(भाला)होता पीड़ा!
समय,सुहाग-सिन्दूर मिटाया! अद्भुत है प्रभु तेरी माया !
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यह कविता अभिमन्यु प्रजापति जी (abhimanyukumar1629@gmail.com) के द्वारा लिखी गयी है। अभिमन्यु जी बिहार के लखीसराय के रहने वाले है। अगर आपको यह कविता पसंद आयी तो हमे निचे कमेंट कर के जरूर बताएं।
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