Search

Showing posts with label Nazm. Show all posts
Showing posts with label Nazm. Show all posts

बुढ़ापे में जवानी में

बुढ़ापे में जवानी में


 मेरे दिल की कहानी में यें साँसों की रवानी में

हो नक़्श-ए-इश्क़ तेरा बस बुढ़ापे में जवानी में

मैं तुझको क्या बताऊँ जान-ए- मन कोई नहीं तुझसा

हज़ारों हैं तेरे आशिक़ मग़र कोई नहीं मुझसा

तुझें जो ज़िस्म सा देखें हवस में ख़ाक हो जाए

तेरी रूह-ओ-रिफ़ाक़त से सभी दिल पाक हो जाए

असीर-ए- दिल मैं तेरा हूँ रिहा मुझको नहीं होना

भले खुद को ना पाऊँ पर मग़र तुझको नहीं खोना

मेरे प्यारे मेरे दिलबर सुनो बातें मेरे दिल की

तुझें पाया तो सब पाया ना हसरत औऱ हासिल की

ये हुस्न-ए-ताम तू जो हैं तुझें ना हैं ख़बर कोई

ख़ुमार-ए-इश्क़ तेरे में दवा की ना असर कोई

इल्लाहि की बनावट तू हैं उम्दा औऱ तारीख़ी

नहीं देखी हैं अब तक तो ज़मानों से ये बारीक़ी

तुझें देखूँ मैं भर आँखें या तुझमे दिल दफ़न कर दूँ

मैं कर लूँ बेवाफ़ाई तुझसे तो ये सिर कलम कर दूँ

तू आ के पास मेरे बैठ तुझको देखना हैं अब

मेरी इस बेकरारी को तुझें भी देखना हैं अब

मेरी इस ज़िंदगानी में मेरी उस ज़िंदगानी में

हो नक़्श-ए-इश्क़ तेरा बस बुढ़ापे में जवानी में


©Pratyush Pathak "Shams"

★★★★★